समाजवादी पार्टी ने बीएसएफ़ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव को वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ उम्मीदवार बनाया है. निर्दलीय उम्मीदवारी करने वाले तेज बहादुर अब प्रधानमंत्री के सामने महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे.
बीबीसी से बात करते हुए तेज बहादुर ने कहा कि उन्होंने सभी दलों को पत्र लिखा था जिसके बाद समाजवादी पार्टी की ओर से उन्हें फ़ोन आया.
उन्होंने कहा, “मैंने वाराणसी पहुंचने के बाद सभी दलों को चिट्ठी लिखी थी और किसानों, सैनिकों और बेरोज़गारों के हितों की बात करने वाली पार्टियों से अपने चुनाव अभियान में सहयोग करने के लिए कहा था. सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने हमारा समर्थन कर दिया था. दो दिन पहले मुझे समाजवादी पार्टी की ओर से फ़ोन आया और लखनऊ आने के लिए कहा गया.”
तेज बहादुर ने बताया, “मेरी मुलाक़ात अखिलेश यादव से हुई. उन्होंने मुझे पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी मेरे सभी मुद्दों से सहमत है.”
जब उनसे पूछा गया कि यदि समाजवादी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस भी उन्हें लड़ने का प्रस्ताव देती तो क्या वो कांग्रेस की ओर से भी चुनाव लड़ लेते. उन्होंने कहा, “जो पार्टी मेरे मुद्दों को सही तरीके से समझे और आगे हमारे मुद्दों को लेकर चले तो हम उसी पार्टी से लड़ते. यदि कांग्रेस हमारे मुद्दों से सहमत होती तो हम उससे भी लड़ लेते. लेकिन कांग्रेस ने हमारे मुद्दे अपने मेनिफेस्टो में शामिल नहीं किए हैं.”
क्या एक पार्टी की ओर से लड़ने से उनके अपने मुद्दे कमज़ोर पड़ जाएंगे और पार्टी की विचारधारा हावी हो जाएगी? इस सवाल पर तेज बहादुर कहते हैं, “हमारे मुद्दे पार्टी के भी मुद्दे हैं. पार्टी ने कहा है कि हमारी लड़ाई जवान, किसान, बेरोज़गार, मज़दूरों के लिए है. पार्टी ने जवानों की पेंशन का मुद्दा और शहीद के दर्जे का मुद्दा उठाया हुआ है. हमारे मुद्दे मिले हुए हैं और मैंने अपने मुद्दे भी जोड़े हैं.”
समाजवादी पार्टी ने पहले शालिनी यादव को वाराणासी से उम्मीदवार बनाया था. अब उनकी जगह तेज बहादुर को उम्मीदवारी दी गई है.
क्या शालिनी यादव चुनाव अभियान में उनकी मदद करेंगी. इस सवाल पर वो कहते हैं, “उन्होंने कहा कि वो महिलाओं की ओर से मेरा समर्थन करेंगी और मेरा साथ देंगी. उनका भी पर्चा भरवाया गया है. ये (बीजेपी) बड़े शातिर लोग हैं, अड़चनें डालकर मेरा नामांकन भी रद्द करवा सकते हैं. मेरी उम्मीदवारी का फ़ैसला अध्यक्ष जी का है. कुछ सोच-समझकर ही उन्होंने मेरी उम्मीदवारी का मास्टर स्ट्रोक चला होगा.”
तेज बहादुर का कहना है कि पार्टी की ओर से उम्मीदवारी मिलने के बाद उनका चुनाव अभियान मज़बूत हुआ है क्योंकि अब वो महागठबंधन की ओर से मज़बूत चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ेंगे.
कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय भी वाराणसी से मैदान में हैं. तेज बहादुर ने कांग्रेस को भी चिट्ठी लिखी है और सहयोग मांगा है.वो कहते हैं, “अगर उनकी समझ में आया तो वो भी हमारे साथ आ जाएंगे. ऐसा होगा तो बहुत अच्छी बात होगी.”
तेज बहादुर मूल रूप से हरयाणा के रहने वाले हैं और साल 2017 में उनका एक वीडियो वायरल हुआ था. तेज बहादुर उस समय बीएसएफ़ में कार्यरत थे. अपने वीडियो में उन्होंने जवानों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी.
वाराणसी से आकर चुनाव लड़ने के सवाल पर वो कहते हैं, “काशी काल भैरव का स्थान है. अगर मोदी यहां से जीत सकते हैं तो मुझे भी पूर्ण विश्वास है कि वाराणसी की जनता मुझे भी आशीर्वाद देगी. मैं भी पहली बार आया हूं”
वो कहते हैं, “जो वादे किए थे वो भी मोदी ने ही किए थे. उन्हीं भावनाओं में बहकर सेना में रहते हुए मैंने रोटी का सवाल उठाया था जिसके बदले मुझे बर्खास्तगी मिली. बाद में मेरे बेटे की भी मौत हो गई. देश में एक भी वादा उन्होंने पूरा किया नहीं. अब मैं सीधे प्रधानमंत्री के सामने सवाल पूछने आया हूं. मैं उनसे पूछूंगा कि 2014 में जो वादे किए थे उनमें से एक भी पूरा किया है क्या.”
तेज बहादुर कहते हैं, “वाराणसी आने का मेरा सबसे पहला मक़सद है देश की सुरक्षा. वाराणसी की समस्याएं तो मेरा मुद्दा रहेंगी ही लेकिन मैं देश के मुद्दों पर भी बात करूंगा. देश को जो बाक़ी मुद्दे हैं- सुरक्षा का मुद्दा है, रोज़गार का मुद्दा है. उनपर भी बात होगी.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनाव अभियान में दावा करते रहे हैं कि उनके कार्यकाल में देश की सुरक्षा मज़बूत हुई है. इस पर सवाल उठाते हुए तेज बहादुर कहते हैं, “यदि ऐसा है तो फिर वो बताएं कि पुलवामा हमला कैसे हो गया. और उसकी जांच क्यों नहीं कराई गई?”
वो कहते हैं, “अगर सुरक्षा इतनी मज़बूत है तो मेरे चुनाव अभियान का समर्थन इतने जवान क्यों कर रहे हैं. 997 जवानों ने आत्महत्या की है. ये बताते नहीं है. 775 जवान शहीद हो गए हैं. हमारे पास आंकड़े हैं. आए दिन पाकिस्तान सर पर चढ़कर बोलता है लेकिन ये जनाब चुनाव के समय बोलते हैं.”
तेज बहादुर अपने वीडियो के ज़रिए ही चर्चा में आए थे. उन्होंने जवानों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता का सवाल उठाया था.
वीडियो क्यों शेयर किया इस सवाल पर वो कहते हैं, “वो एक विश्वास था. सिर्फ़ मुझे ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों को. हमें लगता था कि देश को एक अच्छा प्रधानमंत्री मिला है. वो बार-बार जनता से अपील करते थे कि आप मेरा सहयोग करो. नोटबंदी के दौरान गोवा में एक बड़ी रैली में उन्हें छाती पीटकर अपील की थी कि मेरा सहयोग करो. कहा था कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा. हर भारतीय मेरी मदद करे. तो एक नागरिक के नाते हमें लगा कि देश का प्रधानमंत्री इतना काम कर रहा है, हमें भी अपनी बात रखनी चाहिए. उस विश्वास में ही मैंने अपनी बात रखी थी. लेकिन मिला क्या? बर्खास्त कर दिया गया. मेरा परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज हो गया. जनवरी में मेरा बेटा भी दुनिया छोड़ कर चला गया.”
तेज बहादुर पर सेना के अनुशासन तोड़ने के आरोप थे और उन्हें इसी के तहत बर्खास्त किया गया था. वो कहते हैं, “मैं मानता हूं मैंने अनुशासन तोड़ा. लेकिन मेरा जो अपना फ़ंड है, वो तो मुझे दो. 21 साल जो मैंने नौकरी की, उसकी पेंशन तो दो. अगर वो भी नहीं देते हैं तो जो भ्रष्टाचारी अधिकारी हैं उन्हें तो दंडित करो. लेकिन उन्होंने ये भी नहीं किया. जो भ्रष्टाचार की आवाज़ उठा रहा है उसे ख़त्म कर दो और जो भ्रष्टाचारी हैं उन्हें संरक्षण दो. यही इनकी नीति है.”
आदर्श राठौर,
बीबीसी से साभार